वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१४ जनवरी २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
मन हीं मनोरथ छाड़ि दे, तेरा किया न होई ।
पानी में घिव निकसे, तो रूखा खाए न कोई ॥
प्रसंग:
सपना जितना आकर्षक, उससे उठना उतना ही मुश्किल
मन आकर्षक के पीछे क्यों भागता है?
कर्म करने के बाद पाश्चाताप क्यों?
कर्ताभाव का त्याग कैसे करे?